Re: इधर-उधर से
पद्मश्री स्व. चिरंजीत >>>
1965 में जब भारत पाक युद्ध चल रहा था तो रेडियो पाकिस्तान द्वारा अपने ढपोरशंख वाले मियाँ मिट्ठू स्टाइल में खबरें प्रसारित की जाती थी. इन खबरों में पाकिस्तानी सेना की बहादुरी के किससे होते थे व भारतीय सेना की खिल्ली उड़ाने वाले विवरण होते थे और अफवाहें भी फैलायी जा रही थीं. युद्ध के दिनों में युद्धरत देश एक दूसरे के दुष्प्रचार की काट करने का प्रयास करते रहते हैं और जनता को अफवाहोंके प्रति सावधान भी करते हैं. रेडियो पाकिस्तान के दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले समाचार बुलेटिनों के साथसाथ रोजाना समाचारों के बाद नाटकों की एक लड़ी शुरू की गयी थी. इस नाटक श्रंखला के लेखक थे श्री चिरंजीत और इसका शीर्षक था “ढोल की पोल’. यह लगभग दस मिनट का नाटक होता था जिसका फॉरमेट रेडियो पाकिस्तान द्वारा प्रसारित किये जाने वाले उर्दू समाचार बुलेटिन की तर्ज पर था और भाषा भी लगभग वैसी ही उर्दूमिश्रित थी. इस समाचार बुलेटिन रूपी नाटक की शुरूआत ऐसे की जाती थी, “ये रेडियो झूठिस्तान है. अब आप ढिंढोरची से आज की ताजातरीन ख़बरें सुनिए. हमारे नामानिगार ने खबर दी है कि खेमकरण सेक्टर में हमारी फौजें बड़ी बहादुरी से लगातार पीछे हट रही हैं. हमारे पेटन टैंकों ने भी भारती फोजों के सामने गोलाबारी करने से इन्कार कर दिया ...... “ यह बुलेटिन इसी प्रकार चला करता और श्रोता हँसते हँसते लोट पोट हो जाते. मैं नहीं सोचता कि रेडियो पर प्रसारित होने वाला कोई कार्यक्रम लोकप्रियता के मामले में कभी इससे अधिक आगे जा सका हो.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 09-11-2015 at 07:05 PM.
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