Re: इधर-उधर से
पॉप म्यूज़िक और कबीर
आज इस म्यूजिकल ग्रुप ने कबीर के कुछ दोहों का संगीतमय प्रदर्शन किया. लेकिन कर्णप्रिय होने के बावजूद मुझे यह कहना पड़ता है कि पूरे गायन में अधिकतर मुझे समझ नहीं आया जबकि कबीर की कविता से मैं भलीभाँति परिचित हूँ. कबीर हमारी संस्कृति का एक अटूट हिस्सा हैं. तो ऐसी हालत में मुझे कहना पढ़ रहा है कि म्यूजिकल ग्रुप जब तक इन प्रसिद्ध भक्त कवियों की कविता की आत्मा को नहीं समझेंगे तब तब वे अपनी गायकी में उनके संदेश व दृष्टिकोण को सुनने वालों के सामने नहीं रख पायेंगे.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 18-11-2015 at 08:57 PM.
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