Re: अब लाइलाज नहीं रहा कैंसर
श्वसन अंगों का इलाज़ मुश्किल
बीएलके अस्पताल में रेडियेशन आन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख और एसोसिएशन आफ रेडियेशन आन्कोलॉजिस्ट आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस हुक्कू ने कहा ‘इस तकनीक से इलाज के दौरान मरीज के शरीर में लक्षित ट्यूमर पर एक सत्र में 30 मिनट से 90 मिनट तक रेडियेशन बीम डाली जाती है और इस दौरान मरीज पूरी तरह होश में रहता है।’ डॉ हुक्कू के अनुसार, साइबरनाइफ तकनीक से इलाज में एक से पांच सत्र लगते हैं, जबकि पारंपरिक थैरेपी के लिए 25 से 40 सत्रों की जरूरत होती है। रेडियेशन बीम डालने पर अन्य उतकों या कोशिकाओं पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।’ उन्होंने कहा कि साइबरनाइफ तकनीक से फेफड़ों या जिगर में कैंसर के ट्यूमर हटाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि श्वसन क्रिया के कारण इन अंगों में हलचल होती रहती है। लेकिन यह मुश्किल भी नहीं होता। यह तकनीक उन मरीजों के लिए भी लाभकारी है जिनका एक बार कैंसर का इलाज होने पर ट्यूमर खत्म तो हो जाता है, लेकिन कुछ समय बाद फिर कैंसर का ट्यूमर बन जाता है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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