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Originally Posted by rajnish manga
सामाजिक एवम् राजनैतिक क्षेत्रों में व्याप्त पाखंड और झूठ का पर्दाफाश करती है यह कविता. और मुखरता से चोट भी करती है. देर सवेर बदलाव अवश्य आएगा, यही आशा है. धन्यवाद, आकाश जी.
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उत्साहवर्धन हेतु अत्यंत आभार, आदरणीय!