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Old 22-04-2012, 12:17 PM   #30
Dark Saint Alaick
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Default Re: कुतुबनुमा

आय बढ़ाने के चक्कर में दर्शक परेशान न हो

पिछले कई अर्से से टेलीविजन चैनल्स पर एक विज्ञापन लगातार प्रसारित हो रहा है जिसमें उपभोक्ताओं को उनके हक से रूबरू करवाया जाता है कि वे जो भी सामान खरीदें उसका बिल लें या उत्पाद पर लिखी गई कीमत से ज्यादा अदा न करें वगैरह-वगैरह। ‘जागो ग्राहक जागो’ शीर्षक वाले इस विज्ञापन में कभी-कभार कोई बड़ी हस्ती भी दिख जाती है जो ग्राहक को यह बताने का प्रयास करती है कि बाजार से जो भी सामान खरीदा जाए उसे देख-परख लिया जाए। आम तौर पर माना जाता है कि मीडिया लोगों को सही और गलत की पहचान करवाता है लेकिन इन दिनो ‘जागो ग्राहक जागो’वाला विज्ञापन प्रदर्शित करने वाले कई चैनल्स पर उपभोक्ताओं को कथित तौर पर भ्रमित करने वाले विज्ञापनों का प्रसारण भी हो रहा है। उससे दर्शक यह समझ ही नहीं पा रहे कि सही क्या है और गलत क्या। मूल रूप से ये विज्ञापन लोगों की धार्मिक भावनाओं से खेलते दिखाई देते हैं। मसलन एक चैनल पर देर रात धार्मिक यंत्रों वाला एक विज्ञापन प्रसारित होता है जिसमें दर्शकों को बताया जाता है कि उक्त यंत्र को घर के मंदिर में रखने से लक्ष्मी का आगमन होता है। दर्शक को यह भी कहा जाता है कि इस यंत्र के साथ यदि वे कुछ और धार्मिक वस्तुएं भी लेंगे तो भविष्य सुखमय होगा। ताज्जुब की बात तो यह है कि इस तरह के यंत्र की बाजार में तो कीमत बहुत ज्यादा बताई जाती है लेकिन यदि उस चैनल के दर्शक विज्ञापन में दिखाए गए नंबर पर बात कर यंत्र खरीदेंगे तो उसकी कीमत आधी ही रहेगी। अब एक आम दर्शक इस विज्ञापन को किस संदर्भ में ले, यह बताने वाला कोई नहीं है। इसी तरह एक चैनल पर इन दिनो एक धार्मिक पुस्तक को लेकर देर रात में विज्ञापन प्रसारित हो रहा है जिसमें एक नामचीन कलाकार उसका प्रचार-प्रसार करते नजर आते हैं और कहते हैं कि इस पुस्तक को घर में रखने से दुख दूर हो जाते हैं। इस विज्ञापन में कुछ ऐसे लोगों के साक्षात्कार भी दिखाए जाते हैं जो पुस्तक खरीदने के बाद कथित तौर पर लाभान्वित हुए हैं। अब अगर हम इन विज्ञापनो को इन दिनो चर्चा में रहे निर्मल बाबा के समागम वाले विज्ञापन से जोड़ कर देखें तो दोनो में कोई अंतर नहीं दिखाई देगा। लोगों की धार्मिक भावनाओं से खेलने वाले ऐसे विज्ञापन पहले तो चैनल खुद दिखाते हैं लेकिन जब ग्राहक या दर्शक ही ठगे जाते हैं तो वही चैनल उसे ऐसा मुद्दा बनाते हैं मानो आसमान टूट पड़ा। यही हाल विभिन्न चैनल्स पर दिखाए जाने वाले टेली शॉपिंग विज्ञापनो का है जहां ग्राहक को सिर्फ नंबर डायल कर अपनी मनचाही वस्तु खरीदने का आॅफर किया जाता है और यह भी बताया जाता है कि उक्त वस्तु बाजार में नहीं मिलेगी क्योंकि हमारी कोई शाखा नहीं है। ऐसे में उपभोक्ता का भ्रमित होना लाजिमी है। मीडिया को चाहिए कि वह ऐसे विज्ञापनो के प्रसारण से पहले ठोक बजा कर यह तो पता कर ही ले कि कहीं अपनी आय बढ़ाने के चक्कर में वे जो विज्ञापन दिखा रहे हैं उससे उनका नियमित दर्शक आर्थिक या मानसिक रूप से बाद में परेशान तो नहीं होगा। मीडिया को खुद आगे चल कर ऐसी नीति बनानी चाहिए जिसमें ऐसे विज्ञापनो के प्रसारण से पहले दर्शक को चेता दिया जाए कि जो हम दिखा रहे हैं वह केवल और केवल एक विज्ञापन है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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