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Old 15-08-2013, 05:50 PM   #303
jai_bhardwaj
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Default Re: छींटे और बौछार

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Originally Posted by rajnish manga View Post
जीवन की शतरंज बिछी है, श्वेत -श्याम हैं वर्ग
जीवन के इस महाकाव्य में, अपने छंद औ सर्ग

जीना-मरना, विजय-पराजय, कड़वा-मीठा द्वंद्व
नर्क मिला तो यहीं मिलेगा, यहीं मिलेगा स्वर्ग

अपनापन है पागलपन, पागलपन मय अपनापन
सूफ़ी का पागलपन ही है निशात-स्वर्ग-गुलमर्ग
बन्धु रजनीश, निःशब्द होने के बाद बड़ी कठिनाई से ये शब्द-पुष्प चुन सका हूँ आपकी उपरोक्त प्राणबोधी (मुझे तो कालजयी प्रतीत हो रही है) रचना के लिए .... शत शत अभिनन्दन के साथ सादर अर्पित हैं .......



जीवन का यथार्थ कह डाला , सरल - सौम्य भाषा में
तीन रंग से छन्द सजाये, देश-प्रेम की अभिलाषा में
नतमस्तक हो गया आज 'जय', फिर से हे रजनीश!
चमक उठे हो प्रखर सूर्य बन,मन की घोर निराशा में
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
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