15-08-2013, 08:19 PM
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#304
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Re: छींटे और बौछार
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Originally Posted by jai_bhardwaj
बन्धु रजनीश, निःशब्द होने के बाद बड़ी कठिनाई से ये शब्द-पुष्प चुन सका हूँ आपकी उपरोक्त प्राणबोधी (मुझे तो कालजयी प्रतीत हो रही है) रचना के लिए .... शत शत अभिनन्दन के साथ सादर अर्पित हैं .......
जीवन का यथार्थ कह डाला , सरल - सौम्य भाषा में
तीन रंग से छन्द सजाये, देश-प्रेम की अभिलाषा में
नतमस्तक हो गया आज 'जय', फिर से हे रजनीश!
चमक उठे हो प्रखर सूर्य बन,मन की घोर निराशा में
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आकर्षक व प्रभावशाली शब्दों से गुंथे हुए आपके उदार और आत्मीयता से परिपूर्ण उद्गार मुझ जैसे एक सामान्य व्यक्ति को विचलित करने के लिये बहुत हैं. मेरे पास शब्द नहीं हैं कि मैं इनका योग्य उत्तर दे सकूं. इस महकते हुए गुलदस्ते के लिये मैं आपका अपने हृदय की गहराई से आभार व्यक्त करता हूँ, जय भाई जी.
उपरोक्त चतुष्पदी के लिये कृपया मेरा विनम्र नमन स्वीकार करें.
Last edited by rajnish manga; 15-08-2013 at 08:22 PM.
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