जब सारे फिजा -ऐ -इश्क में बीमार हुए !
कल तक थे जो नामी गुंडे
आज वो देश के सरमाये दार हुए !
शांति के पुजारियों पर
हावी आज हथियार हुए !
ना रही कद्र नारी की जरा भी
सब रिश्ते तार तार हुए !
भूखे सोते पुत कमाऊ ( किसान )
वो (नेता ) खाली बैठ्ये मालदार हुए !
माँ बाप की ना रही अहमियत कोई
सब रिश्ते शर्म सार हुए !
दुःख का साथी कोई नही था
सुख के साथी हजार हुए !
नामदेव तू बचेगा कब तक
जब सारे फिजा -ऐ -इश्क में बीमार हुए !
सोमबीर '''नामदेव '''
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