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Originally Posted by rajnish manga
हालाते हाजरा पर आपने एक यथार्थ चित्र पेश किया है, सोमबीर जी. कविता में हर वाक्यांश अपनी टीस का अनुभव कराता है. अंतिम दो पंक्तियों ने स्थिति सम्हाल ली और कथ्य को एक सुन्दर मोड़ पर ला कर छोड़ा. कृपया इस यथार्थ शब्द चित्र के लिए धन्यवाद और बधाई स्वीकार करें.
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रजनीश जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
उम्मीद करता हु आगे भी मुझ नाचीज पर इसी दया द्रष्टि बनी रहेगी