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Originally Posted by soni pushpa
बात काम न करने की नहीं है रजत जी आपितु सिर्फ और सिर्फ काम में व्यस्त रहकर जीवन के आनंद को खो देने की हैं जैसा की यहाँ कहा गया है ...
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यहाँ पर इतना लम्बा 'जीवन का आनन्द' लिखने की ज़रूरत ही नहीं है। संक्षेप में जीवन-आनन्द लिखना ही बहुत है। अर्थ वही निकलेगा।
और फिर खोता-वोता कुछ नहीं है। सिर्फ भ्रम है। एक बात और जो समझ में आई है वे ये कि एक लम्बे बुरे समय का कष्ट अनुभव करने के बाद काम करने के बारे में सोचने से अच्छा है नियमित काम में व्यस्त रहा जाए, नहीं तो नज़र लगने का भी खतरा बरकरार रहता है।