Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
इस शाप के फलस्वरूप राजा ययाति को जब घोर वृद्धावस्था ने आ घेरा उसने अपने ज्येष्ठ पुत्र यदु से अनुरोध किया कि तुम मुझे अपना यौवन देकर मेरी वृद्धावस्था ले लोi कुछ समय पश्चात् मैं तुम्हारा यौवन तुम्हें लौटा दूंगाi यह सुनकर यदु ने कहा यह सौदा आप अपने लाडले पुरु से करेंi जब उन्होंने पुरु से यह बात कही तो पुरु ने राजा का अनुरोध सुन कर तत्काल वृद्धावस्था के बदले में अपना यौवन दे दियाi
राजा ने एक के बाद एक अर्थात दो हजार वर्षों तक अपने पुत्र से यौवन विनिमय के पश्चात् हर प्रकार से तृप्ति की कामना में रत रहाi अन्ततः राजा को वैराग्य हो गया क्योंकि पुत्र से युवावस्था लेने के दो सहस्त्र वर्ष बाद भी उसकी भोग विलास की कामना
समाप्त नहीं हुई थी, वे पुरु को उसकी जवानी लौटा कर वन में चले गयेi अंततः स्वर्ग में जाने पर अपने मुख से पुण्यों का बखान
करने पर इन्द्र ने उसे स्वर्ग से नीचे गिरा दियाi क्योंकि पुण्यों का बखान करने से पुण्य क्षीण हो जाते हैंi तत्पश्चात, कन्या
माधवी के पुत्र अष्टक, जो वेदवेत्ता ऋषि थे, के पुण्यफल से राजा ययाति पुनः स्वर्ग में पहुँच गयेi
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