24-08-2014, 06:04 PM
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Re: दक्षिणेश्वर काली मंदिर (कोलकाता, प. बंगाल)
दक्षिणेश्वर काली
स्वप्न में मिले इस आदेश को रानी ने गंभीरता से लिया और भागीरथी के किनारे दक्षिणेश्वर गांव की तकरीबन पचास बीघा जमीन खरीद ली। सात वर्षों के अनवरत निर्माण के बाद 31 मई सन् 1855 को यहां देवी की प्राण प्रतिष्ठा भव्य समारोह के साथ की गई। ब्राह्मण विरोध और पुजारी की नियुक्ति: भक्ति भाव में जात-पांत क्या? पर भारतीय समाज में जाति संस्कार का जोर तो पुरातन काल से ही मिलता है। रानी धीवर जाति की थीं, इस कारण यहां कोई अच्छा ब्राह्मण नहीं आता। उस समय एक सामाजिक विधान था कि कोई ब्राह्मण शूद्र के मंदिर को प्रणाम भी नहीं करेगा, पूजा की बात दूर है। रानी ने ऐसे में स्वयं ही पूजा करने की बात सोची पर पुनः विचार आया कि ‘देव पूजन में शास्त्र के विरुद्ध आचरण कतई उचित नहीं।’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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