View Single Post
Old 03-04-2015, 08:25 PM   #1
soni pushpa
Diligent Member
 
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65
soni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond repute
Default हनुमान जयंती

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी चैत्र पूर्णिमा शनिवार, 4 अप्रैल 2015 को हनुमान जयंती है। इस अवसर पर मुझे भी लगा की हमसबके दुखनाशक श्री हनुमान जी महाराज के जन्म से संबंधित बाते जाने और उन्हें सत- सत वंदन करें और उनका गुणगान करें

सृष्टि के सात परम चिरंजीवी मर्यादापुरुषोतम श्री राम भगवन के परम भक्त , महा पराक्रमी और महा बलि और जितेन्द्रिय एइसे श्री हनुमान जी सेवाधरम और प्रेरणा स्त्रोत के उत्कृष्ट उदहारण हैं
भारतीय ग्रंथों में उनकी यशो गाथा अद्भुत तरीके से वर्णित है
भगवन शंकर के अंश ,वायुदेव द्वारा कपिराज केशरी की पत्नी अंजनी से महाबली वीर हनुमान जी का जन्म हुआ था .
हनुमान जयंती के अवसर पर उनके जन्म से जुडी ये कहानी आप सबसे सेर करके मुझे अच्छा लगेगा
एक बार अंगीरा ऋषि के स्वागत में इंद्र देव ने बड़ा आयोजन किया, और स्वर्ग की अप्सरा पुंजिकस्थला का नृत्य शुरू हुआ. तब अंगीरा ऋषि भगवान के नाम ध्यान में लग गए उन्होंने नृत्य की और तनिक भी ध्यान न दिया . जब नृत्य पूरा हुआ तब सभी वाह वाह करने लगे पर अंगीरा ऋषि ने एक शब्द न कहा तब इंद्र देव ने ऋषिवर से पूछा की आपको नृत्य कैसा लगा तब ऋषिवर ने कहा हम तो भगवान के कीर्तन में नाचने वाले लोग है हमे एइसे नृत्यों में कोई आनंद नहीं आता . तब अप्सरा बोली की एइसे शुष्क को स्वर्ग के नृत्य की क्या कदर होगी .
अप्सरा की बात से कुपित होकर अंगीरा ऋषि ने उस अपसरा को श्राप दिया की जा तेरा पतन होगा और तू अब पृथ्वीलोक में वन- वन भटकने वाली वानरी का देह प्राप्त करेगी ..
उस समय स्वर्ग में हाहाकार मच गया और अप्सरा रो - रो कर माफ़ी मांगने लगी . तब ऋषिवर को दया आई और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया की तुम्हारे घर एक एइसे पुत्र का जन्म होगा जो भगवान की सेवा में अनवरत रहेगा और मानव का कष्ट भंजन बनेगा .
ये अप्सरा पुंजिकस्थला याने की कपिराज कुंजर की पुत्री बनी और कपिराज केशरी के साथ उनका विवाह हुआ और एइसे १-- अंगीरा ऋषि का श्राप फिर आशीर्वाद २--अंजनी की आराधना ३-- महादेवजी की प्रसन्नता ४--वायुदेव द्वारा रुद्रेश्वर के दिव्य तेज़ की प्राप्ति ५--पुत्र यज्ञ के प्रसाद, एइसे पञ्च पुन्यवंत योग के एकत्र होते ही चैत शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जी का परम प्रागट्य हुआ .
हनुमान जी की राम भक्ति की कथाएं तो सब जानते ही हैं उनमे से ये कथा भी हिर्दय स्पर्शी है
माना जाता है कि जहां रामकथा होती है वहां हनुमान कथा सुनने पहुंचते हैं। कहा गया है एक बार राजदरबार में श्रीराम ने हनुमान को अपने गले से मोती की माला उतार कर दी। हनुमान ने हर एक मोती को दांत से काटकर देखा और पूरी माला तोड़ दी।
Inline image

श्रीराम ने पूछा इतनी सुंदर माला तुमने दांत से काट-काटकर क्यों फेंक दी। हनुमान ने कहा कि प्रभु जिस वस्तु में आप नहीं वह मेरे किस काम की।

तब श्रीराम ने पूछा, तुम्हारे हृदय में श्रीराम का निवास है?

हनुमान ने हृदय चीरकर दिखाया कि वहां राम, लक्ष्मण और सीता विद्यमान है। हनुमान को राम नाम प्रिय है। जहां भी रामकथा होती है वहां वे कथा श्रवण को आते हैं।
आज भी माना जाता है की जहाँ भी रामायण का पाठ होता है, राम भक्ति होती है वहां हनुमानजी का वास सदा होता है
"जय बजरंगबली"

Last edited by soni pushpa; 03-04-2015 at 08:29 PM.
soni pushpa is offline   Reply With Quote