Re: कुतुबनुमा
अंतरिक्ष जगत में एक और कामयाबी
भारतीय ध्रुवीय अंतरिक्ष यान पीएसएलवी ने सात उपग्रहों को सोमवार को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर लगातार 22वें त्रुटिरहित प्रक्षेपण के साथ भारत ने अंतरिक्ष में अपना दबदबा और मजबूत कर लिया। यह ना केवल हमारे वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि है बल्कि इससे दुनिया में यह संदेश भी गया है कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत किसी से कम नहीं। इसरो के अंतरिक्षयान पीएसएलवी-सी20 ने बेहद सटीक ढंग से उड़ान भरी और एकल अभियान में सभी सात उपग्रह - भारतीय-फ्रांसीसी समुद्र विज्ञान अध्ययन उपग्रह ‘सरल’ तथा छह विदेशी लघु एवं सूक्ष्म उपग्रहों को बिना किसी त्रुटि के कक्षा में स्थापित कर दिया। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बने। यह इसरो का 103वां अभियान था और इसने अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते दबदबे को रेखांकित किया है। भारत 2008 में ही एक एकल अभियान में एक साथ 10 उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर चुका है। इससे अंतरिक्ष में भारत की क्षमताएं उजागर हुईं।अंतरिक्षयान पीएसएलवी-सी20 को शाम पांच बज कर 56 मिनट पर प्रक्षेपित किया जाना था, लेकिन अंतरिक्ष के मलबे से इसके टकराने की संभावनाओं से बचने के लिए पांच मिनट बाद प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण के करीब 18 मिनट बाद पीएसएलवी-सी 20 ने सबसे पहले 409 किलोग्राम के भारतीय-फ्रांंसीसी समुद्र विज्ञान अध्ययन उपग्रह ‘सरल’ को उसकी कक्षा में स्थापित किया। इसके बाद चार मिनट में एक के बाद बाद एक अन्य छह उपग्रहों को कक्षाओं में स्थापित दिया। सफल प्रक्षेपण और उपग्रहों के कक्षा में बिना किसी व्यवधान और खामी के स्थापित होने पर वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौडना स्वाभाविक है क्योंकि यह काम करके उन्होने भारत की श्रेष्ठता एक बार फिर साबित की है। इन विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से भारत ने व्यवसायिक प्रक्षेपण की अपनी क्षमताओं को और मजबूती से स्थापित कर दिया।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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