Re: कुतुबनुमा
छत्तीसगढ़ सरकार के सभी दावे खोखले
जागरूकता अभियान चलाने के छत्तीसगढ़ सरकार के दावों की उस समय पोल खुल गई जब नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि छत्तीसगढ़ में भ्रूण हत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2011 की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में एक साल में भ्रूण हत्या के 21 मामले सामने आए हैं। इस आधार पर छत्तीसगढ़ भ्रूण हत्या के मामले में पहले पांच राज्यों की सूची में दूसरे पायदान पर आ गया है। इसी तरह शिशु हत्या के मामले में भी छत्तीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर है। यहां 2011 में कुल 8 शिशुओं की हत्या के मामले दर्ज किए गए। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2010 में भ्रूण हत्या के नौ मामले दर्ज किए गए थे जबकि भाजपा शासित मध्यप्रदेश में 18 मामले दर्ज हुए। हालांकि प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री लता उसेंडी रिपोर्ट को सिरे से नकार रही हैं और कह रही हैं कि ये आंकड़े पूरी तरह से गलत हैं लेकिन बढ़ते मामले इनके दावों को साफ नकार रहे हैं। वैसे भ्रूण हत्या के मामले में ही पहले नंबर पर मध्य प्रदेश है। यहां 38 मामले दर्ज किए गए। ब्यूरो के अनुसार लैंगिक असमानता और भ्रूण हत्या के लिए बदनाम पंजाब की स्थिति छत्तीसगढ़ से बेहतर है। पंजाब में वर्ष 2011 के दौरान भ्रूण हत्या के मात्र 15 प्रकरण सामने आए वहीं छत्तीसगढ़ में 21 प्रकरण दर्ज हुए। गौरतलब है कि तमाम तरह की जागरूकता अभियानों के बावजूद देश में भ्रूण हत्या के मामले में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। ब्यूरो की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर अब क्राइम कैपिटल में तब्दील होती जा रही है। महिला आयोग में इस वर्ष अब तक महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के 1170 मामले दर्ज हुए हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में रायपुर नम्बर एक पर है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राज्य सरकार इन दोनों विषयों पर गंभीर नजर नहीं आ रही। अपराध बढ़ते जा रहे हैं और जन्म से पहले ही कन्याएं मारी जा रही हैं। वैसे सच यह भी है कि बाक़ी देश की स्थिति भी इस परिदृश्य से बहुत ज्यादा भिन्न नहीं है, जो बहुत चिंताजनक है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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