Re: जीवन्मुक्तलक्षण वर्णन
फिर एक अप्सरा से मोहित हुआ और बहुत काल में वहाँ से छूटा-तो एक देश में पक्षी हुआ और बहुत कालपर्यन्त पक्षी रहकर छूटा तो एक गोपी पिशाचिनी थी उसने बैल बनाके उसे रखा और दूसरे विपश्चित् ने बैल विपश्चित् को उपदेश करके गाया | निदान हे रामजी! चारों दिशाओं में चारों विपश्चित् भ्रमते फिरे | दक्षिण दिशा का तो पिशाचिनी से मोहित हुआ इससे उसने बहुत जन्म पाये और पूर्व का बहता हुआ मच्छ के मुख में चला गया और उसने निकाल डाला, इससे लेकर वह अवस्था देखी | उत्तर दिशा का जो हुआ उसने वही अवस्था देखी और पश्चिम दिशा का हेमचू पक्षी की पीठ पर प्राप्त हुआ और उसने उसे कुशद्वीप में डाल दिया इससे उसने भी अनेक अवस्था पाई | हे रामजी! एक एक विपश्चित् ने भिन्न भिन्न योनि और अवस् था का अनुभव किया | रामजी ने पूछा, हे भगवन्! तुम कहते हो कि `विपश्चित एक ही था और उनकी संवित् भी एक ही थी और आकार भी एक ही था तो भिन्न भिन्न रुचि कैसे हुई जो एक पक्षी हुआ,दूसरा वृक्ष हुआ और इससे लेकर वासना के अनुसार अनेक शरीर पाते फिरे |
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
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