कर चले हम फिदा जानो-तन साथियो
हार का न करो कोई ग़म साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो
दौर जब तक चले कोई फुरसत न लो
घर में, जितनी बने लक्ष्मी दाब लो
वक़्त होता है मेहमान, कुछ देर का
उसके जाने से पहले, उसे नाप लो
फिर करो बैठ कर ऐश तुम साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो
हींग भी न लगे न लगे फ़िटकरी
हो मगर जिंदगी में, मज़ा ही मज़ा
ये सियासत भी क्या चीज़ है दोस्तो
ख़ूब डालो डकैती न होगी सज़ा
उल्टे सब लोग, चूमें क़दम साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो
सूट और टाई में दाग़ लगते नहीं
व्यर्थ इनपे ना पैसा बहाया करो
सर पे टोपी धरो खादी पहना करो
नाम गाँधी का ले ले के घपला करो
फिर मिलेगा न दूजा जनम साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो