Re: कुतुबनुमा
मध्य प्रदेश सरकार के आंकड़ों से फैला भ्रम
मध्य प्रदेश सरकार अपने काम को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने के लिए पहले ही काफी चर्चा में रह चुकी है लेकिन वह लोगों में भ्रम बनाए रखने के कोई मौका चूकना ही नहीं चाहती ऐेसा लगता है। हाल ही में नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) ने आरोप लगाया कि सरकार ने एक निजी कम्पनी एस.कुमार्स की सहायक कंपनी महेश्वर हाइडल पावर कंपनी लिमिटेड (एसएमएचपीसीएल) को फायदा पहुंचाने के लिए झूठे आंकड़े पेश किए हैं। प्रदेश में ऊर्जा सचिव मोहम्मद सुलेमान ने एक मार्च 2011 को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के विशेष सचिव को लिखे पत्र में कहा था कि महेश्वर पनबिजली परियोजना के पुनर्वास का 70 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा हो चुका है जबकि हाल ही में सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश किए गए शपथ-पत्र में कहा है कि निजी कंपनी पुनर्वास के लिए धनराशि उपलब्ध कराने में विफल रही है। शपथ-पत्र में कहा गया है कि पुनर्वास के काम के लिए 740 करोड़ में से कंपनी ने केवल 203 करोड़ मुहैया कराए। यह राशि कुल राशि की सत्ताईस प्रतिशत है। ऐसी स्थिति में सत्ताईस राशि से सत्तर प्रतिशत से ज्यादा लोगों का पुनर्वास किस तरह से संभव हुआ इस पर सवालिया निशान है। पुनर्वास के लिए कंपनी जिम्मेदार है जिसमें वह विफल हुई है। इससे एक बार फिर साबित हो गया कि राज्य सरकार अपने फायदे के लिए किसी भी तरह की गलत बयानी कर सकती है अथवा गलत आंकड़े पेश कर सकती है। जो जानकारी सामने आ रही है उससे पता चलता है कि महेश्वर परियोजना से 60 हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं। इसमें से 15 प्रतिशत का पुनर्वास और व्यवस्थापन नहीं हो पाया है। जिन लोगों के पुनर्वास की बात हो रही है, शर्तों के अनुसार उनमें से एक भी प्रभावित को न्यूनतम दो हेक्टेयर जमीन भी आवंटित नहीं की गई है। आखिर क्यों सरकार एक निजी कम्पनी के गलत कदमो को छिपा रही है, यह समझ से परे है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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