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Old 06-06-2012, 02:40 AM   #27
Dark Saint Alaick
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Default Re: डार्क सेंट की पाठशाला

नियम का सम्मान

इन्सान चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे कानून का पालन तो करना ही चाहिए। ऐसा इसलिए भी जरूरी हो जाता है कि बड़े ही नियम तोड़ेंगे, तो फिर अन्य लोग उसका अनुसरण करने लगेंगे। काफी पहले मद्रास (आज का चेन्नई) में एक शानदार मछली घर बनाया गया था। इसकी चर्चा दूर-दूर तक फैल गई। बड़ी संख्या में लोग इसे देखने आने लगे। उसकी देखभाल बड़ी कक्षा के विद्यार्थी किया करते थे। मछलीघर देखने के लिए प्रवेश शुल्क निर्धारित था। हर किसी को टिकट लेना पड़ता था। एक दिन हैदराबाद के निजाम सपरिवार आए। निजाम को लगा कि देश के शासक वर्ग से जुड़े होने के कारण वे खास व्यक्ति हैं। उन्हें टिकट लेने की क्या जरूरत। वह बिना टिकट लिए आगे बढ़ने लगे, तो मछली घर के व्यवस्थापकों व कर्मचारियों ने सोचा कि ये इतने बड़े आदमी हैं। इनका आना ही बड़ी बात है। अब इनसे क्या शुल्क लिया जाए। यह सोचकर सब अपने-अपने काम में मशगूल रहे। किसी ने उनसे टिकट लेने को नहीं कहा। जब निजाम आगे बढ़े, तो बुद्धिमान व परिश्रमी छात्र माधवराव ने उनके सामने आकर कहा - महोदय, यहां प्रवेश शुल्क निर्धारित है। बिना पैसे दिए मछली घर के अंदर जाना मना है। यह सुनते ही निजाम कुछ शर्मिंदा होकर अपने निजी सचिव की ओर देखने लगे। सचिव ने इशारा पाते ही सभी के लिए टिकट खरीदे। उनके जाने के बाद अधिकारीगण चिंतित हुए। एक बोला - यदि हम उनसे रुपए नहीं लेते, तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ता? दूसरा बोला - हां, ऐसा भी नहीं था कि उनसे प्रवेश शुल्क नहीं न लेने से हमें भारी आर्थिक हानि होती। सभी अपनी-अपनी राय देते रहे। कुछ देर बाद माधवराव बोले - प्रश्न रुपए लेने का नहीं है। प्रश्न तो नियम के पालन का है। नियम का पालन सभी के लिए जरूरी है। बड़े व्यक्तियों का तो विशेष फर्ज बनता है कि वे नियम का सम्मान करने में आगे रहें, ताकि सामान्य जन भी उनका अनुकरण करें। अगर विशिष्ट लोग ही नियम तोड़ेंगे, तो आम आदमी से उनके पालन की उम्मीद कैसे की जा सकती है? माधवराव का जवाब सुनकर सभी चुप हो गए।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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