Re: पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी
‘स्नेहालय फॉर एनिमल्स’ शुरू करने के बाद भी दुःख और पीड़ा ने गीता का साथ नहीं छोड़ा। जानवरों-पक्षियों को ही अपनी संतान मानकर जीना शुरू करने वाली गीता के बेटे प्रवीण की जवानी में ही मौत हो गयी। ये मौत भी उस समय हुई जब एक फोटोग्राफर के तौर पर प्रवीण अपना कारोबार जमा चुके थे। प्रवीण पीलिया का शिकार हुए। बेटे की मौत के बाद बहु और दो पोतों की ज़िम्मेदारी गीता पर आ गयी। गीता ने बहु और दोनों पोतों की ज़िम्मेदारी ली और उन्हें अच्छे से बसाया और जमाया। गीता ने अपनी बेटी स्वप्ना की शादी भी अच्छे घर-परिवार में करवाई। बेटी और बहु दोनों अब मज़े में हैं।
बहु और बेटी दोनों गीता से उनके यहाँ आकर रहने की गुज़ारिश करते रहते हैं, लेकिन गीता जानवरों और पक्षियों को छोड़कर कहीं जाने के लिए तैयार ही नहीं होतीं। वे कहती हैं, “मैं जानती हूँ कि वे मुझे अपने पास क्यों बुलाती हैं। वे जानती हैं कि मेरे पास कितनी धन-दौलत है। उनके पास जाऊँगी तो वे बस इसी दौलत की मांग करेंगी। मैं उनसे कहती हूँ कि मेरे लिए ये जानवर ही अच्छे हैं, जो सिर्फ प्यार मांगते हैं।” गीता ने ये भी कहा, “मुझे कभी भी किसी भी इंसान से प्यार नहीं मिला। न मेरे दादा-दादी ने मुझसे प्यार किया न नाना-नानी ने। माता-पिता हमेशा लड़ते-झगड़ते ही रहे। भाई-बहन भी वैसे ही रहे। बेटा-बेटी को मेरी दौलत से प्यार था। मुझे जानवरों और पक्षियों ने बिना किसी चाह और उम्मीद से प्यार किया। मैंने भी उनके प्यार के बदले प्यार दिया। ये जानवर और पक्षी ही मेरे लिए मेरी संतान हैं।”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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