Re: श्रीयोगवशिष्ठ
एक दिन नरसिंह भगवान् गंगा के तीर पर गये और वहाँ देवशर्मा ब्राह्मण की स्त्री को देखकर नरसिंहजी भयानक रूप दिखाकर हँसे । निदान उनको देखकर ऋषि की स्त्री ने भय पाय प्राण छोड़ दिया । तब देवशर्मा ने शाप दिया कि तुमने मेरी स्त्री का वियोग किया, इससे तुम भी स्त्री का वियोग पावोगे । हे राजन् सनतकुमार भृगु और देवशर्मा के शाप से विष्णु भगवान् ने मनुष्य का शरीर धारण किया और राजा दशरथ के घर में प्रकटे । हे राजन्! वह जो शरीर धारण किया और आगे जो वृत्तान्त हुआ सो सावधान होकर सुनो । अनुभवात्मक मेरा आत्मा जो त्रिलोकी अर्थात् स्वर्ग, मृत्यु, और पाताल का प्रकाशकर्त्ता और भीतर बाहर आत्मतत्त्व से पूर्ण है उस सर्वात्मा को नमस्कार है । हे राजन! यह शास्त्र जो आरम्भ किया है इसका विषय, प्रयोजन और सम्बन्ध क्या है और अधिकारी कौन है सो सुनो ।
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