26-09-2014, 10:07 PM
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#44
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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Originally Posted by deep_
बाप रे! ईतना सोच के कोई अगर दोस्ती करता तो हो चुका बंटाधार!
पवित्राजी, जैसे शादी का जोड़ा बनना उपर से तय है, मेरे विचार से दोस्त भी 'उपर वाला' ही बनाता है। एसा नही हो सकताकी एक बौध्धिक विचारशील व्यक्ति का मित्र कोई पगला सा व्यक्ति हो? आप ही देख ही लो उदाहरण....ईस फोरम पर लेखकों के साथ मेरी और मेरे ही जैसे 'एम्प्टी माईन्ड' की दोस्ती आपके सामने मौजुद है
वैसे आपका प्रश्न बहुत अच्छा लगा...काश एक दोस्त एसा हो जिसकी सारी खुबी-खामी हमें अच्छी लगे।
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सच कहा आपने कि जैसे शादी का जोड़ा ऊपर से बनके आता है वैसे ही दोस्त भी भगवन ही हमारी किस्मत में लिख देते हैं।
पर दुःख तब होता है जब वो साथ सिर्फ कुछ पलों का होता है।
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