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Old 10-06-2015, 09:19 PM   #11
Deep_
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Default Re: कुछ तर्क

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Originally Posted by soni pushpa View Post
बहुत बहुत धन्यवाद... खुशिया कम पैसों में भी मनाई जा सकती है बिना दिखावे के.
यही तो मसला है की पैसे वालों को दिखावे का शौक है । उनकी यही आदत 'स्टेटस' बन जाती है जिसे आम आदमी प्राप्त करना चाहता है। उसी के लिए वह अपने आप को घिसता रहता है।

आपको जान कर खुशी होगी की हमारे गांव में दहेज प्रथा है ही नहीं। सिर्फ कन्यादान में अगर किसीने एकाद फर्निचर, तीजोरी, स्टील के घडे, दिवार-घडी दे दी तो बहुत हो गया। ईस में भी गांववाले, रिश्तेदारो की मदद होती है।

लेकिन जब लोग खेती के अलावा नौकरी करने लगे और अच्छा पैसा कमाने लगे....उन्हों ने खर्चा करना शुरु कर दिया। उनको देख कर अब गरीब लोग भी चाहते है की उनकी बारात ईनोवा कार में जाए, मंहगे कपडे सिलवाए, बडा पंडाल बना कर बुफे डीनर करवाए ।

साथ साथ दूल्हेवालों के बिना मांगे ज्यादा फर्निचर, गहने आदि देने का चलन बढ गया है। यह वर्तन लडकेपक्ष वालों को चाबी दे रहा है....मांग करने के लिए। मुझे ईस बात से असंतोष है।
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