Re: उपन्यास: जीना मरना साथ साथ
‘‘हां’’
‘‘कौन बार्ड?’’
‘‘एक’’
‘‘हाय महराज, हमरा रहते हरिजन बार्ड में, बोलथो हल ने हमरा बारे में, साल दस लाश तो अब तक बिछा देलिए हें ग्यारहवां में कि देरी है।’’
फिर उसने वहीं से हांक लगाई,‘‘कि हो बाबा, महराज हमर गांव के आदमी के साथ तों ऐसन काहे कैलहो, हरिजन बार्ड ?’’
‘‘हमरा की पता, इस कहबो नै कैलको और हम की करतिओ हल, बॉस नै कहलखुन तब।’’
‘‘अच्छा चलो हम बॉस से बात करबै, तोरा घबड़ाए के बात नै है, हम ऐजइ ही।’’ उसने मुझे कहा।
‘‘कौन केस मे आइलाहों हे।’’
‘‘घर से भाग के शादी कर लेलिए।’’
‘‘दूर महराज, कौन केस में आइला, यहां मर्डर, रेप और किडनेप करके आबो हई तब कोई बात है, चलो....।’’ उसने ऐसे कहा जैसे यहां के लिए यह सबसे निकृष्ठ काम करके आना हुआ।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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