Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
बैरंग डाक का दोहा
डाकघर में बैरंग चिट्ठियों पर आधी गोल मुहर लगाई जाती है और दोगुना डाक-व्यय वसूल किया जाता है। एक अज्ञात कवि ने इस पर एक अद्भुत दोहा लिखा है-
आधी मुहर लगाय कें, मांगत दूने दाम।
याही सों इन जनन को, पड्यो ‘डाकिया’ नाम।।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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