Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
कुछ चुटकुले-कुछ जातक कथाएं-1
हिंदी साहित्य में एक समय ‘धर्मयुग’ ने साहित्यकारों के बारे में कुछ चुटकुलानुमा प्रहसन प्रकाशित किए थे। उनमें से एक महान आलोचक डॉ. नामवर सिंह के बारे में था। दिल्ली में सड़कों पर नई-नई ट्रेफिक लाइटें लगी ही थीं। एक व्यक्ति लाईट के साथ अपनी दिशा बदल लेता था। कभी दांए तो कभी बांए मुड़ जाता था। ट्रेफिक पुलिस के सिपाही ने उसकी गतिविधि को देखकर कहा, ‘ऐ धोती वाले बाबा, तुम कभी दांए तो कभी बांए क्यों जाते हो?’ वहीं दो लेखक भी पास में खड़े थे। दोनों ने एक साथ कहा, ‘यह पुलिसवाला नामवर जी की आलोचना को कितनी अच्छी तरह से समझता है।’
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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