Re: मंटो ने कहा था
एकांकी संकलन “आओ” (मजाहिया ड्रामे) की भूमिका :
“यह ड्रामे रोटी के उस मसले की पैदावार हैं जो हिन्दुस्तान में हर उर्दू अदीब के सामने उस वक्त तक मौजूद रहता है, जब तक वह मुकम्मल तौर पर ज़ेहनी अपाहिज न हो जाये …
मैं भूखा था, चुनांचे मैंने यह ड्रामे लिखे. दाद इस बात की चाहता हूँ कि मेरे दिमाग ने मेरे पेट में घुस कर चंद मजाहिया (हास्य) ड्रामे लिखे हैं, जो दूसरों को हंसाते रहे हैं, मगर मेरे होंठों पर एक पतली सी मुस्कराहट भी पैदा नहीं कर सके.”
सआदत हसन मंटो
कूचा वकीलां
अमृतसर
28 दिसंबर 1940
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