Re: गंगा से कावेरी तक
दूसरी रिपोर्ट वह कानपुरआई.टी.आई. में राष्ट्रपति के गोल्ड मेडल के लिए की गई एक किशोर की हत्या परपढ़ता है। उसका मन खिन्*न हो जाता है। उसे पूसा कृषि संस्*थान एवंभाभा परमाणु शोध संस्थान से कुछ वैज्ञानिकों की आत्महत्या की घटनाएँयाद आती हैं। यहाँ लोग अपना कैरियर बनाने के लिए सही प्रतिभाओं को मौत के घाटउतार देते हैं। बहुत विचित्र लगता है यह सब। पर यह सब होता है। ‘द वीक’ वह रखदेता है। शाम छ: बजे गाड़ी जबलपुर पहुँच जाती है। एक डेढ़ वर्ष पहले ही तो वहजबलपुर आया था- एक साहित्यिक कार्यक्रम में।
उसके पास खुले पैसे नहीं हैं। वह स्टेशन पर उतर कर एक बॉलपेन खरीदता है औरबुक स्टाल पर नजर घुमाता है। हंसराज रहबर का एक उपन्*यास हिंद पाकेट बुक्स में उसके हाथ लग जाता है ‘दिशाहीन’। उसे वह खरीद लेता है। बीच में रुक-रुक कररात बारह बजे तक वह उपन्यास पढ़ता रहता है। उपन्यास एक ऐसे युवक की कहानीथी जो बंधनों में न बँधना, स्वच्छंद प्रेम और गैर सामाजिक रीति से किए गएविवाह को ही क्रांति मानता है। और अंत में उसका मोह भंग हो जाता है अपनीपत्नी से। लेखक एक अन्य पात्र के मुँह से कहलवाता है कि हमने प्रेम उस उम्रमें किया जब हमें नहीं मालूम था कि प्रेम क्या होता है, और इस स्लोगन केसाथ कि युवा ‘क्रांति-क्रांति’ चिल्लाते हैं पर वह नहीं जानते कि क्रांतिक्या चीज होती है। उपन्यास पढ़ने को तो पूरा पढ़ गया पर लगा कि वह कहीं सेइन्फ्लुएंस नहीं कर पाया। जिस उम्मीद को लेकर उपन्यास खरीद लाया था वहपूरी नहीं हुई। कम-से-कम हंसराज रहबर से उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 18-06-2014 at 01:00 PM.
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