Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नाम का शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। जब अपने वृद्ध पिता की मृत्यु होने पर वह राजगद्दी का मालिक हुआ तो उसने अपना नाम कैखुसरो रखा। किंतु उसने भेस बदल कर नगर का घूमना तब भी जारी रखा। हाँ, उसके साथ सेवक के बजाय मंत्री होता।
एक दिन इसी तरह नगर भ्रमण करते हुए वह एक गली में जा पड़ा। वहाँ एक मकान के अंदर से स्त्रियों की कुछ ऐसी बातचीत सुनाई दी कि वह कान लगा कर उस दरवाजे पर खड़ा हो गया। दरवाजे की दरारों से झाँक कर देखा तो उसे एक दालान में तीन नवयुवतियाँ बातें करती दिखाई दीं। यह तीनों बहनें थीं। बड़ी बहन ने कहा, मुझे अच्छी रोटियाँ खाने का शौक हैं। अगर मेरा विवाह शाही नानबाई से हो तो मजा आ जाए। मँझली बहन बोली, मैं तो तरह-तरह के खानों की शौकीन हूँ। मैं चाहती हूँ कि मेरा विवाह बादशाह के बावर्ची से हो।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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