Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
बादशाह ने उन्हें तसल्ली देते हुए कहा, तुम लोग भूली कुछ भी नहीं हो। निडर हो कर बताओ कि कल रात आपस में क्या बातें कर रही थीं। तुम कोईबुरी बात नहीं कर रही थीं। मैं केवल अपने सामने एक बार फिर तुम्हारी बातेंसुनना चाहता हूँ। बादशाह का काम प्रजा की आवश्यकताएँ पूरी करना होता है।मैं भी जहाँ तक हो सकेगा तुम्हारी इच्छाएँ पूरी करूँगा। हाँ, यह ख्याल रहेकि तुम लोग वही कहो जो तुमने कल रात को कहा था। बयान बदला न जाए।
मजबूर हो कर तीनों ने एक-एक करके बताया कि पिछली रात क्या कह रहीथीं। बादशाह सुन कर मुस्कुरा उठा। उसने अपने नानबाई और बावर्ची को बुलायाऔर नानबाई को बड़ी तथा बावर्ची को मँझली का हाथ पकड़ा दिया और कहा कि इनलोगों को बढ़िया रोटियाँ और सालन खिलाते रहना। उसने मंत्री को आदेश दिया किइसी समय काजी और गवाहों को बुला कर इनका निकाह पढ़वा दिया जाए। छोटी केलिए कहा, जैसी इसकी इच्छा थी, इसके साथ मैं विवाह करूँगा। यह विवाह पूरीशाही शान-शौकत से होगा, उसी तरह जैसे मैं किसी राजकुमारी को ब्याह रहा हूँ।मेरी शादी की इसी समय से तैयारियाँ शुरू कर दी जाएँ। यह कहने के बाद वह उठकर दरबार को चला गया।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|