Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
तीनों की बुद्धि इतनी तीक्ष्ण थी कि उनके अध्यापक कहने लगे कि यह लोग तो कुछ दिनों में हम से भी बढ़ कर विद्वान हो जाएँगे, इन्हें तो कोई बात सीखने में देर ही नहीं लगती।
लिखने-पढ़ने के अलावा तीनों ने घुड़सवारी, धनुर्विद्या, शस्त्र-संचालन आदि की शिक्षा भी ली और जल्द ही इनमें भी प्रवीण हो गए। इसके अलावा परीजाद ने गाना और वाद्य वादन भी सीखा। दारोगा को ख्याल तो पहले भी था कि यह लोग शाही महल के जन्मे होंगे, अब विश्वास भी हो गया। उसे अपना छोटा-सा घर उनके निवास के उपयुक्त न लगा। उसने शहर के बाहर जंगल के समीप उनके लिए विशाल भवन बनवाना शुरू किया।
दारोगा ने अपनी देखरेख में वह भवन बनवाया। वह तैयार हो गया तो उसकी दीवारों पर प्रख्यात कलाकारों द्वारा बड़े सुंदर चित्र बनवाए और महल को हर प्रकार की सुंदर और मूल्यवान सामग्री से सजाया। उसके पास ही उसने बड़ी मनोरम पुष्प वाटिका बनवाई जहाँ वे लोग मन बहलाया करें। इसके अतिरिक्त एक बड़ा भूमिक्षेत्र घिरवा कर उसमें बहुत-से जंगली जानवर रखवाए ताकि वे लोग घर के समीप ही शिकार खेल सकें क्योंकि स्वस्थ रहने के लिए शिकार अच्छी कसरत है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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