माय हिन्दी फोरम!!!
यही तो वह मंच है जिस पर ईतने गुनी (और मेरे जैसे भी) लोग एक साथ ईतनी अच्छी बहस कर सकते है!
रजत जी ने समय, युग, काल की गिनती बताई...शायद उन्हों ने कहीं पर पढा होगा। लेकिन रजत जी, रजनीश जी, पवित्रा जी, अरवींद जी, कुकी जी और पुष्पा जी जैसे कई सदस्य अपने आप में ज्ञान का समुद्र अपने में समाए हुए है।
मुझे लगता है की ज्ञानी ही यह तय करता है की आनेवाली फसल/नसल कैसी होनी चाहिए। अगर
"मन्दिर बन्द" जैसे मुद्दे पर बहस नहीं होती, तो यह तय हो जाता की हम सभी धार्मिकता के बारे में अधिक सेन्सीटीव नहीं है। लेकिन हम सेन्सीटीव है। हमें फर्क पडता है।
हाला की मेरे और श्री एम्प्टी माईण्ड जैसे लोग अपने एम्पटी दिमाग में नई बातें लोड करना चाहते है....वह रजत जी जैसे लोग ही तय करेंगे। क्यों की वे ही दिमाग हिला देने वाली बातें, दिमाग हिला देने वाले तरींको से लिख सकते है। ईस लिए अब रजत जी पर निर्भर है की वे हमें क्या देते है।
अब मुझे लग रहा है की अगर रजत जी ने ईश्वर को जैसे प्रदर्शित किया है, अगर उससे उल्टा लिखते....मतलब की ईश्वर की फेवर में लिखते तो? वह कितना अच्छा होता!