Re: इधर-उधर से
एक और बनवास
रजनीश मंगा
आपको शायद याद नहीं होगा कि नेता जी यानि मुलायम सिंह यादव ने प्राचीन काल में अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव को दो वचन दिए थे. यह वचन तब दिये गए जब युद्ध के दौरान उनके रथ की अर्गला टूट कर निकल गई थी और शिवपाल सिंह ने अपनी जान की परवाह न करते हुये अपनी ऊँगली रथ के पहिये में फंसा दी थी. नेता जी की जान बच गई थी और युद्ध में विजय भी प्राप्त हुई. उन्होंने प्रसन्न हो कर अपने छोटे भाई को दो वर प्रदान किये और कहा कि वह जो चाहे मांग सकता है. उस समय शिवपाल सिंह से कहा कि वह सही समय आने पर वर मांग लेंगे. तब नेता जी ने तथास्तु कह कर शिवपाल को आशीर्वाद दिया.
सही समय आया देख कर शिवपाल सिंह ने नेता जी से मीटिंग कर के उनके वचनों की याद दिलाई. छोटे भाई की पीठ थपथपा कर उन्होंने कहा कि वह निर्भय हो कर जो चाहे मांग ले. शिवपाल सिंह ने कहा कि मेरी दो माँगें इस प्रकार हैं:
1. मेरे लिये मुख्य मंत्री पद (भले एक माह के लिये हो).
2. मुख्यमंत्री अखिलेश को छः वर्ष का बनवास.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 31-12-2016 at 07:00 PM.
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