Re: ღ॰॰॰ღ मेरी प्यारी प्यारी माँ ღ॰॰॰ღ
ऊँगली पकड के पापा की
जब चलना मैंने सीखा था
पास लेटकर उनके मैंने
चाँद सितारे देखे थे ,
बड़े दिनों के बाद याद , पापा की गोदी आती है !
पता नहीं क्यों आज मुझे उस घर की यादें आती हैं
पता नहीं जाने क्यों मेरा
मन रोने को करता है ,
बार बार क्यों आज मुझे
यादें उस घर की आती हैं
बड़े दिनों के बाद आज , पापा सपने में आए थे !
पता नहीं मां क्यों मन को,मैं आज न समझा पाई हूँ
क्यों लगता अम्मा मुझको
इकलापन सा इस जीवन में
क्यों लगता मां , जैसे कोई
गलती की, लड़की बन के !
बड़े दिनों के बाद आज यादें उस घर की आयीं हैं !
पता नहीं मां सावन में ,यह ऑंखें क्यों भर आईं हैं
किस घर को अपना बोलूं ?
मां किस दर को अपना मानूं
भाग्यविधाता ने क्यों मुझको
जन्म दिया है , नारी का,
बड़े दिनों के बाद आज भैया की याद सताती है
पता नहीं क्यों सावन में पापा की यादें आती है !
आज बाग़ में बच्चों को
जब मैंने देखा झूले में ,
अपना बचपन याद आ गया
जो मैं भुला चुकी, कब से
बड़े दिनों के बाद आज क्यों बिसरी यादें आती हैं !
पता नही क्यों याद मुझे, पापा की पप्पी आती है !
तुम सब भले भुला दो लेकिन
मैं वह घर कैसे भूलूँ ?
तुम सब भूल गए भैय्या
पर मैं वे दिन कैसे भूलूँ ?
बड़े दिनों के बाद आज , उस घर की यादें आती हैं !
पता नहीं क्यों आज मुझे मां तेरी यादें आती हैं !
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