Re: मेरी कहानियाँ!!!
डॉक्टर दास ने श्रीमती शशि आनंद की जो रिपोर्ट तैयार की उसका सारांश यह था कि वे किसी गंभीर मानसिक विकार, व्याधि अथवा ग्रंथि से पीड़ित नहीं हैं. वह आत्मविश्वास से भरी हुई है और किसी भी प्रकार की असुरक्षा की भावना से भी मुक्त हैं. वास्तव में वह अपने होने वाले बच्चे की तरफ से चिंतित हैं और इसी कारण से कभी कभी विचलित हो जाती हैं. मुझे लगता है कि वे अपनी भावी संतान के पालन पोषण के सवाल पर लाजवाब हो जाती हैं, अपनी असमर्थता का परिचय देती हैं. अपने तमाम आत्म-विश्वास के बावजूद शशि जी अपने पति से अलग रह कर अपने होने वाले बच्चे की स्वस्थ परवरिश कर पाने में खुद को अवश पाती हैं. यह भावना शायद उनकी इस सोच से उपजी है जिसके अनुसार बच्चे के पालन-पोषण में पिता की भी उतनी ही भूमिका और जरूरत है जितनी माता की. किसी एक के न होने का उसके शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. शशि अब एक खंडित परिवार का हिस्सा है. वह मानती है कि इस प्रकार का परिवेश बच्चे के लिये उचित नहीं हो सकता.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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