Re: नपुंसकामृतार्णव
कामदेवचूर्णम
गोखरू 1 पल, कौंच के बीज 2 पल, गंगनेर के बीज 1 पल, शतावर 1 पल, विदारीकन्द 2 पल, असगंध 3 पल तथा अडूसा, गिलोय, लाल चन्दन, त्रिसुगंध (दालचीनी, इलायची, तेजपात) पीपल, आंवला, लौंग, नागकेशर-इन सभी को एक-एक तोला लें। खरटी और सेमल की मूसली 21-21 तोला लें। कुशा की जड़, काश की जड़, सरपते की जड़- प्रत्येक सात तोला लें। इन सभी को मिला कर चूर्ण बना लें और फिर चूर्ण की बराबर मात्रा की खांड मिला कर रख लें। इस चूर्ण को नित्य एक-दो तोला (बलाबल के अनुसार) दूध के साथ ग्रहण करें, तो दुष्टवीर्य, अल्पवीर्य, मूत्रकृच्छ आदि वीर्य एवं मूत्र से सम्बंधित सभी रोग दूर हो जाते हैं। भगवान् धन्वन्तरि का कहा हुआ यह निदान वीर्य की शक्ति को इस तरह बढ़ा देता है कि मनुष्य दस स्त्रियों के साथ घोड़े के समान रमण करने में सक्षम हो जाता है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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