Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
मुन्नी जिसे कि आप भूल नहीं सकते
मुन्नी उस वक़्त से मुन्नी नहीं रही जब वो मुन्नी थी.. और उसकी इस समझ को डेवलप कराने में जिन लोगो ने उसकी सहायता कि उनमे थे उसके पिताजी के दोस्त, मकान मालिक का साला, गणित की ट्यूशन वाले मास्टरजी, पुरानी कंपनी के मैनेजर और ऐसे कई सारे भले लोग जिनका जन्म ही मानव कल्याण हेतु हुआ है.. वे यथा संभव मुन्नी का कल्याण करने के प्रयास में लगे रहते.. हालाँकि मुन्नी बड़ी निष्ठुर हृदयी थी वो नहीं चाहती थी कि उसका कल्याण हो.. किसी न किसी बहाने से वो उन कल्याण कार्यो पर पानी फेर ही देती थी..
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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Last edited by Sikandar_Khan; 04-08-2011 at 09:37 AM.
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