Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by bindujain
खूबियां पूछता है क्यों मेरी
कुछ बुरा और कुछ भला हूँ मैं
अपनी सूरत कभी नहीं देखी
लोग कहते हैं आइना हूँ मैं
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माँ मुझे देख के नाराज न हो जाए कहीं
उसका आँचल नहीं होता है तो डर लगता है
(अंजुम)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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