Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
आज रीना मेरे इतने करीब थी कि उसके बालों की खुश्बू मन को महका-बहका रही थी। आज उसे इतने करीब से पहली बार ही देख रहा था जहां बीच में कोई रोकने टोकने वाला नही था। मैं भी सालों की अपनी प्यास को आज बुझा लेना चाहता था, उसे जी भर कर देख रहा था। जब मैं लेटा लेटा उसे प्यारी भरी नजरों से देखने लगा तो उसकी नजरें झुक गई। झुकी हुई नजरों के बीच मैं अपने प्यार को आज जी भर देख रहा था। रीना के बालों की खुश्बू आज मन को बेचैन कर रही थी। मेरे प्यार भरी नजरों को रीना ने भी पढ़ लिया और अपने भतीजों को उसने सीने से लगाए रखा। करीब तीस मिनट यूं ही खामोशी से बीत गया। उस खामोशी को तोड़ने की साहस किसी से नहीं हो रही हो रही थी। पर अन्त में रीना ने ही साहस किया,
‘‘ देख, ऐसे मत देख, पागल मत कर हमरा,’’
“ई में पागल करे के की बात है, पागल तो हम दोनों होले हियै।“ मैंने जबाब दिया।
‘‘सेकरा से की, पागल कैसे हियै, दोनों सोंच समझ के प्रेम केलिएै हें, पागल कैची रहबै।’’
‘‘की सोंचलहीं हे, पता है बियाह के बाद रहे ले घरो नै है, कहां रहमीं’’ मैंने आज अपनी लाचारी ब्यां कर दी। रीना को लेकर मैं हमेशा से इस बात से परेशान रहता कि वह एक संपन्न परिवार की लड़की है और मेरे पास गांव में एक कमरे का मकान। इस उहापोह में आज मैंने उसे दिल की बात कह दी। पर जबाब कुछ यूं मिला।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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