Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
खैर, भगवान, भगवान, करते हुए बच्चे को चुप कराने का उपक्रम करते हुए रीना अपने भतीजे से कह रही थी
‘‘फुफा बउआ फुफा’’
और बच्चा मेरा मुंह देखने लगाता। मैं भी उसे कभी गोद में लेता तो कभी कंधे पर बैठा कर घुमाता ताकि वह चुप रहे।
जैसे तैसे सिरायबली वहां से गई और फुआ भी वापस नहीं आई थी, जान में जान आई।
इस सब के बीच महसूस किया कि जितना मैं डर गया था उतना रीना नहीं डरी थी, उसके चेहरे पर एक अजीब सा आत्मविश्वास थी और वह बस इतना ही कह रही थी कि-
‘‘ की होतइए, आय नै तो कल ई सामने तो आइबे करतै, तब डरे की का बात है’’
मेरे लिए यह संबल की बात थी। रीना हमेशा से अपने प्रेम को उजागर करना चाहती थी, लोग जान जांय तब सब ठीक हो जाएगा।.......
ज्वारभाटों का जो शोर उठा था उसकी भ्रुण हत्या दोनों ने कर दी। मैं तो खैर दब्बू था ही सो ऐसा ही होना था। वहां से वह चली गई और मन ही मन मैं खुद को कोसता रहा। कई दिनों तक इस बात का मलाल रहा और उसकी आंखों ने में इस मलाल को मैं देख पा रहा था। पर किसी कोने में कोई खुश भी था। वाह।
प्रेम की अपनी परिधि है और उस परिधि से जब मन बाहर जाना चाहता है कोई आकर रोकने के लिए खड़ा हो जाता है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 29-08-2014 at 10:20 PM.
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