Re: इधर-उधर से
प्रसंग: निदा फ़ाज़ली
* मेरे एक दोस्त सागर भगत ने एक फिल्म बनायी थी. फिल्म का नाम था “बेपनाह” उस मल्टी-स्टार फिल्म में संगीत खैयाम का था और गीत मैंने लिखे थे. निर्देशन जगदीश सिंघानिया का था, जिन्होंने फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर नाकाम होने के बाद फिल्म अभिनेत्री पद्मा खन्ना से शादी कर ली. दोनों एक दुसरे की ज़रुरत बन गए थे. जगदीश से फिल्म असफल होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री मुंह मोड़ रही थी और पद्मा जी का साथ उम्र छोड़ रही थी.
* एक शाम वे (एक शायर), कैफ़ी आज़मी, गुलाम रब्बानी ताबां और राजेंदर सिंह बेदी के साथ एक लेडी इनकम टैक्स कमिश्नर के यहां आमंत्रित थे. साथ में मैं भी गया था. ये सारे सीनियर लोग गटागट जाम चढ़ा रहे थे और हर जाम के साथ अपनी उम्रे घटा रहे थे. थोड़ी देर में मैनें देखा, सरदार जाफरी 75 से 25 के हो गए, बेदी 22 के पायदान पर खड़े हो गए और कैफ़ी 18 से आगे बढ़ने को तैयार नहीं थे. मैं क्योंकि जूनियर था, इसलिए उनकी घटाई हुयी उम्रें मेरे ऊपर सवार हो गयीं. रात जब जियादा हो गई, तो महिला ने उन्हें रुखसत किया और अपने कुत्ते को अन्दर करके दरवाजा बंद कर लिया. ये चारों बुज़ुर्ग बीच चौराहे पर खड़े होकर अपनी नयी जवानियों का प्रदर्शन कर रहे थे और मैं उन्हें 300 साल के बूढ़े की तरह सम्हाल रहा था. इतने में अचानक जाफरी को याद आया, उनकी बत्तीसी उस महिला के घर छूट गई है. मैं भागता हुआ वापस गया. मैनें बेल बजाई. जब वो बाहर आई तो मैंने आने का मक़सद बताया. उन्होंने लाईट जलाई तो देखा, उनका कुत्ता उस बत्तीसी में फंसे गोश्त के रेशों से खेल रहा था. बड़ी मुश्किल से डेंचर छीन कर मुझे दिया. उसका एक दांत टूट गया था. जाफरी ने बताया कि वो डेंचर उन्होंने स्विस में बनवाया था.
(साभार: शेष/ जन.- मार्च 2007 में जनाब मरगूब अली की समीक्षात्मक टिप्पणी पर आधारित)
Last edited by rajnish manga; 03-04-2013 at 11:29 AM.
|