Re: मुहावरों की कहानी
मुहावरा: रस्सी जल गई पर बल नहीं गए
साभार: शिव सागर शर्मा
गागर है भारी, पानी खींचने से हारी,
तू अकेली पनिहारी, बोल कौन ग्राम जायेगी,
मैंने कहा, थक कर चूर है तू ला मैं,
रसरी की करूं धरी कुछ विश्राम तो तू पाएगी,
बोली जब खींच चुकी सोलह घट जीवन के,
आठ हाथ रसरी पे कैसे थक जायेगी,
मैंने कहा रसरी की सोहबत में पड़ चुकी तू,
जल चाहे जायेगी ते ऐंठ नहीं जायेगी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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