Re: मुहावरों की कहानी
मुहावरा: अधजल गगरी छलकत जाए
साभार: शिव सागर शर्मा
घाम के सताए हुए, दूर से हैं आए हुए,
घाट के बटोही को तू धीर तो बंधाएगी,
चातक सी प्यास लिए, जीवन की आस लिए,
आशा है तू एक लोटा पानी तो पिलाएगी,
बोली- ऋतु पावस में स्वाति बूँद पीना,
ये पसीने की कमाई यूँ न लुटाई जायेगी,
मैंने कहा पानी वाली होती तो पिला ही देती
अधजल गगरी है तो छलकत जाएगी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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