Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
राजेंद्र सिंह बेदी और आटे की बोरियां
उर्दू के मशहूर अफसानानिगार राजेंद्र सिंह बेदी बम्बई में रहते थे और फिल्म प्रोडक्शन से जुड़े हए थे. उसी दौरान उनके पास एक लम्बी सी मोटर कार भी थी. उन्हीं दिनों पंजाबी के प्रसिद्ध लेखक संत सिंह सेखों ‘पंजाबी साहित्य केंद्र’ के बुलावे पर बम्बई पधारे थे. बेदी साहब भी प्रोग्राम में शिरकत कर रहे थे. प्रोग्राम के बाद बहुत से लेखक भी सेखों जी के साथ ही बेदी साहब की कार में बैठ गये. उनको अपने अपने ठिकाने पर पहुंचाने की ज़िम्मेदारी बेदी साहब की थी. रास्ते में पंजाबी लेखक सुखबीर ने चुटकी लेते हए कहा,
“बेदी साहब, यह गाडी आपके प्रोड्यूसर होने की सही निशानी है.
“क्यों नहीं,” एक अन्य लेखक बोला, “गाड़ी क्या है, पूरा छकड़ा है.”
“और इसमें आटे की बोरियां भी लादी जा सकती हैं!” अब की बार सेखों जी बोले.
इस बार बेदी साहब ने भी सेखों जी की ओर मुस्कुरा कर देखा और बोले,
“वही तो लाद कर लिए जा रहा हूँ.”
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