Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
बादशाह खाने पर बैठा तो संयोग से सबसे पहले खीरे के शोरबेवाला कटोरा ही उठाया। जब उसमें देखा कि उसकी सतह पर अनबिंधे मोती बिछे पड़े हैं, उसने खाने पर बढ़ा हुआ हाथ खींच लिया और नाराजगी से बोला, यह क्या मजाक है? यह क्या पेश किया गया है? तीनों भाई-बहन चुप रहे किंतु चिड़िया ने तपाक से कहा, सरकार, ईश्वर की माया अपरंपार है। मलिका के पेट से कुत्ते-बिल्ली निकल सकते हैं तो बादशाह के पेट में मोतियों के ढेर भी जा सकते हैं।
बादशाह पहले तो आँखें तरेर कर चिड़िया को देखने लगा। फिर उसे बीती बातें याद आईं तो उसने सिर नीचा कर लिया। कुछ देर मौन रहने के बाद बोला, चिड़िया, तेरी बात ठीक है। मैं भी सोचता हूँ जिन बातों पर मैंने विश्वास किया वे बुद्धि से कोसों दूर हैं। फिर भी मैंने उन पर इसलिए विश्वास किया कि स्वयं मलिका की बहनों ने यह कहा था और मैंने सोचा कि वे झूठ न कहेंगी क्योंकि वे उसकी सगी बहनें थीं, उसकी हितचिंतक थीं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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