View Single Post
Old 30-12-2017, 12:43 PM   #224
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

मानिये तो देव नहीं तो पत्थर

जिन्होंने यह कहावत गढ़ी होगी, "मानिए तो देव, नहीं तो पत्थर,' उन्होंने सार की बात कही है। यही स्थिति है अधिक मनुष्यता की। मान-मान कर सब चल रहे हैं। अंधे ने मान लिया है कि रोशनी है। बस माना है; आंख खुली नहीं है; खुली आंख ने देखा भी नहीं। यह भी हो सकता है कि अंधा आंख पर चश्मा लगा ले। लेकिन अंधे की आंख पर चश्में का क्या मूल्य है? आंख हो तो चश्मा देखने में सहायता भला कर दे; आंख न हो तो चश्मा क्या करेगा? तो बहुत-से अंधे चश्मे लगाए चल रहे है; फिर भी टकराते हैं। टकराएंगे ही। बहुत-से अंधों ने चश्मा भी लगा लिया है, हाथ में लालटेनें भी ले रखी हैं ताकि रोशनी साथ रहे। मगर फिर भी टकराएंगे।

तुम्हारे शास्त्र तुम्हारे हाथ में लटकी हुई लालटेनों की तरह हैं। और तुम्हारे विश्वास तुम्हारी अंधी आंखों पर चढ़े हुए चश्मों की भांति हैं। इनका कोई मूल्य नहीं है दो कौड़ी मूल्य नहीं है। इनसे हानि है; लाभ तो ज़रा भी नहीं। इनके कारण आंख नहीं खुल पाती है। इनकी भ्रांति के कारण तुम कभी जानने की चेष्टा में संलग्न ही नहीं हो पाते।

मैं तुमसे कहता हूं: परमात्मा को मानना मत। मानने की जरूरत नहीं है। परमात्मा को मानोगे तो फिर जानोगे किसको? परमात्मा को मानने का मतलब तो यह हुआ कि तुमने जानने में हताशा प्रकट कर दी, तुम हार गए, तुमने अस्त्र-शस्त्र डाल दिए। तुमने कहा, खोज समाप्त हो गई; जानने को तो है नहीं, माने लेते हैं। सूरज को तो नहीं मानते हो, चांद को नहीं मानते हो; जानते हो। इस संसार को मानते तो नहीं, जानते हो। और परमात्मा को मानते हो? यह माना हुआ परमात्मा अगर तुम्हारे जाने हुए संसार के सामने बार-बार हार जाता है तो कोई आश्चर्य तो नहीं है। परमात्मा भी जाना हुआ होना चाहिए। जिस दिन परमात्मा जाना हुआ होता है उस दिन यह संसार फीका पड़ जाता है, माया हो जाता है, सपना हो जाता है।

अनुभव ही संपत्ति बनती है; थोथे विश्वास नहीं।

तो मैं इस कहावत में थोड़ा फर्क करता हूं। मैं कहता हूं: "जानिए तो देव, नहीं तो पत्थर।'

(ओशो)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote