15-03-2015, 02:43 PM
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Re: घर हो मंदिर या घर में हो एक मंदिर
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Originally Posted by soni pushpa
एक बात आज मैंने सुनी और वो बात सच में मुझे बहुत अछि लगी और सोचने वाली भी लगी की घर को एक मंदिर जेइसा बनाया जय या फिर घर में एक मंदिर हो ?
दोस्तों और मेरे पाठको से निवेदन है की इस विषय पर आप सब अपने अपने विचार यहाँ रखे फिर मै अ पने विचार आप सबके साथ सेर करुँगी सो कृपया इस बहस में सभी हिस्सा लें .
आपकी क्या रराय है इस बारे में?
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घर में मन्दिर तो ज्यादातर सभी घरों में मिल जाएँगे , पर बहुत ही कम घर ऐसे होते हैं जो खुद ही मन्दिर जैसे पवित्र हों । जहाँ शान्ति हो , सुकून हो , लोग अपना समय जहाँ गुजारना पसन्द करें, जहाँ उन्हें अपनी समस्याओं से लडने की हिम्मत मिल सके , जहाँ वो आनन्द का अनुभव कर सकें । और घर को मन्दिर बनाना भी कोई मुश्किल काम नहीं है , हम अपने थोडे से प्रयास से ये काम कर सकते हैं । अगर घर के सभी सदस्यों में आपसी समझ विकसित हो जाये , लोग एक दूसरे को सम्मान दें , एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करें , दूसरों को बदलने का प्रयास ना करें , उन्हें वैसे ही उनकी कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार करें , कभी किसी भी सदस्य को नीचा ना दिखायें , किसी का मजाक ना बनायें , किसी को ताने ना दें तो हर घर मन्दिर अपने आप ही बन जायेगा ।
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