Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
ग्रीक मिथक
सिसीफस की सजा
ईयोलस का पुत्र सिसीफस कारिन्थ का राजा था. उसका विवाह एटलस की पुत्री मेरोपी से हुआ था. सिसीफस के राज्य के निकट किआनी का पुत्र औटोलिकस रहता था जो अपने पिता की तरह चोरी करने में माहिर था. उसने सिसीफस के पशुओं को चुराना शुरू कर दिया जिससे सिसीफस चिंतित हो उठा. दिनों दिन उसके पशुओं की संख्या घटने लगी.
एक दिन पशुओं के खुरों के निशान देखते देखते सिसीफस ओटोलिकस के पास जा पहुंचा.
ईयोलस की मृत्यु के बाद सिसीफस के भाई सेल्मोनियस ने थिसली का सिंहासन छीन लिया. तब भविष्यवाणी हुयी कि भतीजी से प्राप्त तेरे पुत्र तेरे अपमान का बदला लेंगे. सिसिफस ने भतीजी टाइरो को अपने झूठे प्रेम जाल में फंसा लिया. किन्तु बाद में पता चलने पर टाइरो ने अपने दोनों पुत्रों की हत्या कर दी. कुछ दिन बाद बाजार में प्राप्त कुछ शवों की हत्या का आरोप सिसीफस ने अपने भाई पर लगा दिया, जिसके कारण उसे थिसली से निष्काषित कर दिया गया. अब सिसीफस राजा तो बन गया, पर वह था बहुत कपटी और धोखेबाज.
एक बार देवाधिदेव ज्यूस ने जल देवता एसोपस की सुन्दर पुत्री एगिना का अपहरण कर लिया, जिसे सिसीफस ने देखा और कारिन्थ में सदा प्रवाहित होने वाले झरने की कीमत पर एसोपस को सब कुछ बता दिया. इससे ज्यूस बहुत क्रुद्ध हुआ और सिसीफस के प्राण हरने के लिए उसने मृत्यु को भेजा. छल-कपट से सिसीफस ने मृत्यु को बंदी बना लिया.
इससे देवता बहुत चिंतित हुये. युद्ध देवता ईरोस स्वयं वहां गये और मृत्यु को मुक्त करने के बाद सिसीफस को बंदी बना लिया गया. सिसीफस भी हार मानने वाला न था. उसने अपनी पत्नि को खबर भेजी कि वह उसके पार्थिव शरीर को न तो जलाये और न ही दफनाये. पत्नि मेरोपी ने ऐसा ही किया.
टरटारस में रोनी सूरत बना कर सिसीफस ने पर्सिफेनी को फुसलाने की कोशिश की. “मेरी पत्नि ने मेरा अंतिम संस्कार तक नहीं किया, इसके बिना यहाँ मेरा रहना अनुचित है. मुझे चार दिन के लिए पृथ्वी पर भेज दिया जाये. अपना अंतिम संस्कार करवा कर और अपनी पत्नि को दंड देने के बाद मैं वापस आ जाऊंगा.” पर्सिफेनी उसके बहकावे में आ गई और उसे मुक्त कर दिया. फिर क्या था, सिसीफस अपना वादा भूल गया और वृद्धावस्था तक राज करता रहा.
देवताओं को इस बात का पता लगने पर हेमीज को भेजा गया, जो छल-कपट से सिसीफस को फिर से बाँध कर ले आया. इस बार सिसीफस को ऐसा दंड दिया गया जिसकी मिसाल अन्यत्र कहीं नहीं मिलती.
टरटारस में एक बहुत बड़ा व भारी पत्थर था. सिसीफस को यह सजा दी गई कि वह उस पत्थर को लुढ़काते हुये पहाड़ के शिखर तक ले जाये और दूसरी ओर लुढ़का दे. पर जैसे ही वह पत्थर शिखर के नज़दीक तक ले आता है, पत्थर लुढ़क कर फिर नीचे आ जाता है. सिसीफस बार बार पत्थर को शिखर पर ले जाने का प्रयास करता है और बार बार अपनी कोशिश में असफल होता है. तब से ले कर आज तक सिसीफस उस पत्थर को शिखर पर ले जाने की कोशिश में लगा हुआ है और यह क्रम तब तक अनवरत चलता रहेगा जब तक वह ऊपर की ओर लुढ़काते हुए इस भारी पत्थर को पर्वत शिखर तक ले जाने में कामयाब न हो जाये.
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