Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
हिंदी के मूर्धन्य कथाकार- उपन्यासकार रांगेय राघव के बारे में लेखक अजित कुमार बताते हैं कि उनकी उपन्यास लेखन की शैली चकित करने वाली थी. राघव जी एक बड़ा सा रजिस्टर ले कर उसमे विभिन्न अध्यायों की क्रम संख्या दर्ज कर लेते थे. हर अध्याय के लिए पन्ने छोड़ते चलते थे. इस प्रकार वह बाद वाला अध्याय पहले और पहले वाला अध्याय बाद में लिख लिया करते थे. कभी कभी बीच के अध्याय भी लिखने शुरू कर देते थे. राघव जी द्वारा लिखित "मुर्दों का टीला" उपन्यास की पांडुलिपि इसी पद्धति से तैयार की जा रही थी जिसे उन्होंने स्वयं देखा था.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 28-11-2014 at 11:00 PM.
|