Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 December)
अदम गोंडवी /Adam Gondvi
उनका असली नाम रामनाथ सिंह था. लेकिन सबने उन्हें 'अदम गोंडवी' के नाम से ही जाना. वो अदम गोंजवी जो ताकतवर कुर्सियों के फरमान ताउम्र अपने पोएटिक वक्तव्यों से ख़ारिज करता रहा. उसने ग़ज़ल में रूमानियत के चोंचले नहीं पाले. जनता की बात कहना चुना और बुराइयों के ख़िलाफ अदबी जंग छेड़ी. बताने वाले बताते हैं कि गोंडा का ये शायर जब अपने बगावती जज्बात से भरे शेर पढ़ता था तो लगता था कि एक पल में सारी व्यवस्था को बदल देना चाहता है. ये शायरी ग़रीब और पंक्ति में सबसे पीछे खड़े व्यक्ति की नुमाइंदगी करते नज़र आते हैं:
काजू भुने प्लेट में विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनाएं तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गई है यहां की नखास में
जनता के पास एक ही चारा है बग़ावत
यह बात कह रहा हूं मैं होशो-हवास में
-अदम गोंडवी
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|